खसरा नंबर और खाता नंबर क्या होता है? अपना खाता नकल कैसे देखें? मोबाइल पर भू नक्शा कैसे देखें? खसरा कैसे निकाले? जमीन का खसरा कैसे निकाले ?
गर आप हाल ही में कोई नई जमीन खरीदने वाले हैं या फिर अपने प्लॉट को बेचना चाहते हैं तो उसके लिए कुछ चीजों की जानकारी होना आपके लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि कई बार हम अनजाने या जल्दबाजी में जमीन तो खरीद लेते हैं लेकिन बाद में पता लगता है कि हमारे साथ फ्रॉड हो गया है और हमारा सारा पैसा डूब जाता है ऐसी स्थिति में यदि आप कुछ चीजों की जानकारी रख लेते हैं और जमीन खरीदने के टाइम इन बातों को ध्यान में रखते हैं तो आपके साथ फ्रॉड नहीं हो सकता।
जमीन खरीदने के लिए खसरा नंबर और खाता नंबर बहुत जरूरी होता है यदि आप कोई जमीन खरीदना चाहते हैं तो उससे पहले उस जमीन का खसरा नंबर जरूर पता कर लें और जब आप उस खसरा नंबर की डिटेल निकालेंगे तो आपको उस जमीन से संबंधित सभी जानकारी मिल जाएगी कि यह जमीन किसके नाम पर थी और यह जमीन सरकार के अंतर्गत आती है या नहीं आती है।
जब आप इन सभी चीजों की जानकारी निकाल लेंगे उसके बाद आप बेझिझक जमीन खरीद सकेंगे और अपना पैसा डूबने से भी बचा सकेंगे।
आज के अपने इस लेख में हम आपको खसरा नंबर खाता नंबर से संबंधित सभी जानकारी विस्तार में बताने वाले हैं तो यदि आप कोई नई जमीन खरीदने वाले हैं तो उससे पहले हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े इसमें आपको आज काफी जानकारी मिलने वाली है जिससे आप आने वाली समस्या से बच सकेंगे।
Contents
खाता नंबर क्या होता है?
जब भी कोई व्यक्ति नई जमीन खरीदने जाता है तो उसे खसरा नंबर या खाता नंबर शब्द सुनने को जरूर मिलता है लेकिन कई बार लोग इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते हैं लेकिन कोई भी जमीन खरीदने के लिए खसरा नंबर और खाता नंबर के बारे में जानकारी होना बहुत आवश्यक है।
जिस तरह से यदि कोई व्यक्ति बैंक में अपना अकाउंट ओपन करता है तो उसे अकाउंट नंबर दिया जाता है जिससे होता यह है कि सिर्फ उसके अकाउंट नंबर से ही उसकी सभी डिटेल निकल कर आ जाती है और यह पता लग जाता है कि यह अकाउंट नंबर किस व्यक्ति का है ठीक उसी प्रकार किसी जमीन के लिए भी लोगों का अकाउंट नंबर होता है हिंदी भाषा में इसे खतौनी या खाता नंबर भी कहते हैं।
एक खाते का मालिक केवल एक ही व्यक्ति या उसके परिवार का कोई व्यक्ति होता है, जिस तरह से हमें अकाउंट नंबर के माध्यम से यह पता लगता है कि हमारे अकाउंट में कितने पैसे हैं ठीक उसी तरह खाते नंबर की मदद से यह पता किया जा सकता है कि इस व्यक्ति के पास कितनी जमीन है और यह किन किन जमीनों का मालिक है।
खसरा नंबर क्या होता है?
खाता नंबर और खसरा नंबर दोनों अलग अलग चीज होती है जहां खाता नंबर से हमें यह पता लगता है कि इस जमीन का मालिक कौन है वही खसरा नंबर से यह पता किया जा सकता है कि इस जमीन का क्षेत्रफल कितना है और उसके आसपास की जमीन किस व्यक्ति की है।
अधिकतर गांव में सरकार द्वारा यह सर्वे कराया जाता है कि किस जमीन का मालिक कौन व्यक्ति है यदि उस मे किसी तरह का बदलाव होता है तो सरकार उसको अपने रिकॉर्ड में दर्ज कर लेती है मान लीजिए कि यदि कोई व्यक्ति अपनी जमीन बेच देता है तो सरकार उस जमीन के नए मालिक का नाम अपने रिकॉर्ड में दर्ज कर लेती है हालाकि किस काम में थोड़ा समय लग सकता है, लेकिन सरकारी कार्य जरूर करती है और अपने रिकॉर्ड में रखती है।
खसरा नंबर और खाता नंबर में अंतर
यदि किसी गांव में किसी एक व्यक्ति की एक से ज्यादा जमीन है तो सभी जमीन का खसरा नंबर अलग अलग होगा लेकिन यह जरूरी नहीं कि उन सभी जमीनों का खाता नंबर भी अलग हो उन सभी जमीन का खाता नंबर एक भी हो सकता है।
सरल शब्दों में समझा जाए तो यह कह सकते हैं कि यदि कोई आदमी अपनी जमीन को कई हिस्सों में लोगों को बेच देता है तो ऐसी स्थिति में उन सभी अलग हुई जमीनों का खसरा नंबर अलग-अलग होता है, इसलिए गांव में समय-समय पर सरकार सर्वे कराती है ताकि इन सभी चीजों का हिसाब रखा जा सके और अपने रिकॉर्ड में दर्ज किया जा सके ताकि भविष्य मे जमीन को लेकर किसी तरह का विवाद ना हो और समस्या से बचा जा सके।
अधिकारी खसरा नंबर किस तरह से देते हैं?
हम उम्मीद करते हैं अब तक आप खसरा नंबर और खाता नंबर के बारे में काफी कुछ जान चुके होंगे और इससे संबंधित आपके मन में जो भी सवाल थे वे सभी सवाल दूर हो गए होंगे तो आइए अब जानते हैं कि आखिर कोई अधिकारी किसी जमीन का खसरा नंबर किस तरह से देते हैं
गांव के नक्शे के आधार पर अधिकारी उस विशेष गांव में प्रत्येक भूमि पार्सल को एक खसरा नंबर देते हैं, जिससे किसी जमीन की पहचान आसानी से की जा सके और यदि उस से जुड़ी कोई जानकारी प्राप्त करनी हो तो सिर्फ खसरा नंबर के माध्यम से वह जानकारी प्राप्त की जा सके।
खसरा नंबर की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
हम सभी जानते हैं कि भारत में जमीन को लेकर कितना ज्यादा फ्रॉड किया जाता है कोई व्यक्ति 40 से 50 लाख रुपए की रकम कोई जमीन खरीदने वाला होता है और पैसे देने के बाद उसे पता लगता है कि यह जमीन एक सरकारी जमीन है जो उसे कभी भी खाली करनी पड़ेगी इस तरह की समस्या से बचने के लिए और जमीन की पहचान करने के लिए खसरा नंबर की आवश्यकता पड़ती है।
हम आपको एक किस्सा बताते हैं मार्च 2020 में कोर्ट के आदेश पर 300 पुलिसकर्मी हरियाणा किसी जमीन को खाली कराने के लिए पहुंचे, लेकिन कुछ ही देर में वे सभी पुलिसकर्मी वापस आ गए जब उनसे पूछा गया कि आप लोग जमीन खाली कराए बिना क्यों आ गए तो उनका जवाब यही था कि उनके खसरा नंबर में कोई दिक्कत है।
इससे आप समझ गए होंगे कि खसरा नंबर होना कितना आवश्यक है और उसके बारे में पता होना कितना जरूरी है यदि आपको अपने जमीन का खसरा नंबर याद नहीं है या फिर आपने उसको कहीं लिखकर नहीं रखा है तो आप समस्या में भी पड़ सकते हैं।
खसरा शब्द का इस्तेमाल अधिकतर कहां होता है?
अधिकतर शहरों में हमें खसरा नंबर या खाता नंबर जैसे शब्द सुनने को नहीं मिलते हैं क्योंकि यहां पर प्लॉट नंबर अधिकतर सुने जाते हैं तो खसरा नंबर आखिर किन जगहों पर ज्यादा सुनने को मिलता है और कहां पर खसरा नंबर शब्द का इस्तेमाल होता है आइए जानते हैं,
उत्तर और मध्य भारत के कई हिस्सों में शब्द का इस्तेमाल किया जाता है जमीन से जुड़े रिकॉर्ड्स और उनकी पहचान करने के लिए खसरा नंबर का इस्तेमाल किया जाता है इससे आसानी से किसी भी जमीन का रिकॉर्ड निकाला जा सकता है और जमीन के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है, मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, हरियाणा,पंजाब, हिमाचल प्रदेश,बिहार आदि जैसे क्षेत्रों में खसरा नंबर अधिक बांटा जाता है, यहां प्लॉट नंबर से ज्यादा खसरा नंबर शब्द ही सुनने को मिलता है।
बटाई क्या होती है क्या होती है?
अब तक हम खसरा नंबर और खाता नंबर के बारे में लगभग सभी बातें जान चुके हैं और हम यह भी जान चुके हैं कि उनका होना हमें किस तरह की जानकारी दे सकता है तो आइए इ से ही जुड़ी एक एक और बात जान लेते हैं जिसे बटाई कहा जाता है, आपने यह शब्द कभी ना कभी जरूर सुना होगा अधिकतर गांव में बटाई शब्द का इस्तेमाल किया जाता है और गांव में ही इसकी शुरुआत की गई थी।
दरअसल होता यह है कि गांव में अधिकतर किसानों के पास अपनी खुद की जमीन नहीं होती है और जमीन ना होने के कारण वे ठीक से खेती नहीं कर पाते हैं और उन्हें काफी नुकसान भी होता है ऐसी स्थिति में जो जमींदार होते हैं वह अपनी जमीन किसानों को खेती करने के लिए दे देते हैं इसे ही बटाई कहते हैं।
किसान बटाई पर खेती करते हैं और ज़ब फसल पूरी तरह से तैयार हो जाती है तो उसे दो हिस्सों में बांट दिया जाता है एक हिस्सा जमीन का मालिक रखता है जो जमींदार होता है और दूसरा हिस्सा किसान रखते हैं हालांकि इस पूरे कार्य में सारी मेहनत किसान की होती है और अपनी फसल का आधा हिस्सा उन्हें मजबूरी में जमींदारों को देना पड़ता है।
अंतिम शब्द
हम उम्मीद करते हैं हमारे इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप के मन में खसरा नंबर और खतौनी नंबर से जुड़े जितने भी सवाल थे वह सभी सवाल दूर हो गए होंगे, इस आर्टिकल में हमने आपको बताया है कि खसरा नंबर होना कितना जरूरी है और खसरा नंबर से आप क्या-क्या जानकारी प्राप्त कर सकते हैं साथ ही हमने आपको यह भी बताया है कि आप खसरा नंबर की मदद से होने वाले फ्रॉड से भी किस तरह से बच सकते हैं।
तो अगर हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई और आपको कुछ जानने का मौका मिला तो हम आपसे निवेदन करना चाहेंगे कि इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स से अपने दोस्तों तक जरूर साझा करें ताकि उन तक भी यह अहम जानकारी पहुंच सके और अगर वह भी भविष्य में कभी जमीन खरीदना चाहे तो वह इन सब बातों का ध्यान रखें।
इसके अलावा यदि आप विषय से संबंधित कोई और भी सवाल हमसे पूछना चाहते हैं तो आप कमेंट सेक्शन में अपना सवाल हमसे जरूर पूछ सकते हैं हम वहां आपके सभी सवालों को पढ़कर उसका सही जवाब देने का पूरा प्रयास करते हैं ताकि आप तक सही जानकारी पहुंच सके।
मेरा प्लाट का खाता नंबर क्या है ?
अपने राज्य के भूमि विभाग की वेबसाइट से यह पता करिये।
खसरा नंबर क्या है ?
प्लाट को खसरा नंबर कहते हैं। एक खाते में कई खसरा नंबर हो सकते हैं।
एक खाते में कितने खसरा संख्या हो सकते हैं।
इसपर कोई सिमित संख्या नहीं है। यह सभी राज्यों में अलग अलग होता है।
खाता और खसरा नंबर कैसे निकाले या देखें ?
राज्य सरकार के भूमि नक्शा वेबसाइट पर यह देख सकते हैं।
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